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राजधानी के साथ सटे झज्जर जिला ने कोरोना से बचने के लिए धैर्य व दृढ़ संकल्प रखा

प्रकाशित तिथि : 16/04/2020

वैश्विक महामारी कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के बीच हरियाणा के कुछ जिलों से ऐसी भी खबरें हैं जिन पर न केवल राहत की सांस ली जा सकती है बल्कि इनसे प्रदेश के दूसरे जिले भी प्रेरणा ले सकते हैं। झज्जर भी प्रदेश के उन जिलों में शुमार है, जहां के लोगों द्वारा धैर्य व संयम के साथ लॉकडाउन के दौरान अनुशासन का पालन करने और जिला प्रशासन के पुख्ता इंतजामों के चलते लॉकडाउन के पहले चरण में अभी तक कोई भी कोरोना संक्रमित पॉजिटिव केस जिले में सामने नहीं आया है।
उपायुक्त जितेंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली के नजदीक होने के कारण इस जिले को कोरोना संक्रमण के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जा रहा था लेकिन ऐसे कई कारण रहे जिनके चलते कोरोना जिले में प्रवेश नहीं कर पाया। जनसाधारण की जागरूकता और संवेदनशीलता ने भी इसे रोकने में अहम भूमिका निभाई। अगर देखा जाए तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मार्च को जिस जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था, वह तो हरियाणा और खासकर पुराने रोहतक जिले में ठीकरी पहरे के रूप में सदियों से चला आ रही है। ठीकरी पहरे लगाने की इस परम्परा और कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में स्थानीय प्रशासन द्वारा की गई दूरगामी पहलों ने जिले में सुरक्षा कवच का काम किया। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा सभी किरयाने की दुकानों, सब्जी की दुकानों, रेहड़ीवालों और दूध वितरकों की पहचान की गई, उन्हें पंजीकृत किया गया और पास जारी किए गए तथा उनकी मैपिंग करके हर घर में उनके मोबाइल नम्बरों प्रसार किया गया। इस तरह से होम डिलीवरी को बढ़ावा दिया गया। इसके अलावा, पूरे जिले के किरयाना और सब्जी विक्रेताओं को 306 समूहों में बांटा गया और उनकी मूवमेंट को कम करने के लिए सामूहिक वाहन पास जारी किए गए।
इसी तरह, जिला प्रशासन द्वारा पूरे जिले में काम करने लगभग 65 हजार श्रमिकों और 56 हजार ईंट-भा मजदूरों का पहले ही सर्वे करवा लिया गया था जिसके चलते उसे इन श्रमिकों को नियंत्रित करने और गैर-सरकारी संगठनों और रैड क्रॉस के माध्यम से इन तक खाद्य सामग्री पहुंचाने में सुविधा रही। गौरतलब है कि कोविड-19 के तहत हुए लॉकडाउन के पहले चरण में प्रवासी श्रमिकों के ठहराव के लिए झज्जर जिले के झज्जर, बेरी, बहादुरगढ़ व बादली में कुल 24 शैल्टर होम्स में बच्चों व महिलाओं सहित करीब 1200 श्रमिक रूके हुए हैं। प्रशासन की निगरानी में सामाजिक व धार्मिक संगठनों के माध्यम से इन शैल्टर होम्स व अन्य जरूरतमंद लोगों को करीब साढ़े तीन लाख फूड पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही, अब तक करीब 3000 परिवारों तक को साप्ताहिक राशन सामग्री उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने बताया कि जिले में लॉकडाउन के नियमों की अनुपालना प्रभावी ढंग से करवाने के साथ ही सोशल डिस्टेंङ्क्षसग बनाए रखते हुए आवश्यक वस्तुओं की बिक्री का समय निर्धारित किया गया है। किरयाने तथा फल-सब्जियों की दुकानें सुबह 7 से 10 बजे तथा सायं 4 से 7 बजे तक खुली रखी गई जबकि कैमिस्ट शॉप दिनभर और रात्रि के समय शैड्यूल अनुसार खुली रही। अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान निरंतर बंद रखे गए। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा आम आदमी के लिए झज्जर और बहादुरगढ़, दोनों शहरों में मुख्य सब्जी मंडी को बंद कर दिया है ताकि ज्यादा लोगों को इका होने से रोका जा सके।
प्रवक्ता ने बताया कि लोगों का आवागमन अन्य राज्यों अथवा जिलों में न हो, इसके लिए जिला झज्जर की सभी सीमाएं सील की गई हैं। लॉकडाउन के उचित क्रियान्वयन के लिए जिल के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक कुल 75 नाके लगाए गए हैं। वहीं सभी थाना एसएचओ सहित 75 पीसीआर व राइडर नियमित तौर पर दिन-रात गश्त व पैट्रोलिंग कर रहे हैं।

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